Thursday, November 27, 2008

दो लड़कियां




चीड़ के पेड़ से पीठ टिकाए,

कॉलेज् जाने वाली लड़की,

फुट पाथ पर बैठी,

मैंहदी लगाने वाली,

राजस्थानी बालिका वधू की,

रंग बिरंगी पोशाक को

टकटकी लगाए देख रही है।

कॉलेज जाने वाली लड़की की

दाँईं बाज़ू में सिमटी किताबें.......

हथेली पर,

अभी-अभी लगवाई,

गीली- हरी मैंहदी..... दोनो हाथों में, दो-दो सुनहरे सपने।


मेंहदी लगाने वाली लड़की,

कॉलेज जाने वाली लड़की,

कॉलेज जाने वाली लड़की की,

हल्के रंग की पोशाक

और बाहों में सिमटी किताबों को,

रह-रह कर, चाव से,

नज़र भर देख लेती.......

दोनों आंखों में भर कर

बड़े सपने.......

तब तक, जब तक,एक भारी हाथ से पड़ा घौल,

उसे, एक दूसरे हाथ पर मैंहंदी लगाने की

याद नहीं दिलाता।

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