कितनी कितनी बार,
झूठ बोल गया भगवान!
और निर्गुण नहीं रहा।
तो फिर हक है मुझे भी,
कि उसे धमकाऊॅ,
और करूं थोड़ा ब्लैकमेल भी!
शायद डर जाए.....!
पर वह चतुर सयाना,
फिर भी कभी न कभी
अपनी सत्ता का करेगा ही दुरपयोग।
......
अपने ‘अन्याय’ को ‘मेरी करनी ’ कह कर
चाल चल ही जाएगा....।
....एलोपैथी के डॉक्टर की तरह....
रोग का कारण निवारण न कह पाने पर,
उसे अनुवंशिक कह देने की सी चाल।
(भगवान न हुआ समाज हो गया)
.......
मैं सड़क जना,
कितने भी लगा लूं आरोप;
ऊॅंचे मन्दिर में बैठा वह
ले ही लेगा मुझ से
मेरी इस करनी का बदला...।
.....
निर्गुण सा हुआ जाता
सब जानता भी, पूरे मनोयोग से,
करता ही जा रहा हूँ,
अपराध पर अपराध।
9 years ago